माना रात अंधेरी सी उजियारे तक ले जाती है। धीरे-धीरे जीवन पथ के गलियारे तक ले जाती है।। हर पहलू के दो रंग हुए हैं। सुख दुख सब के संग हुए है।। न जाने कब सेझेगा गुरूरे ये इन्सा। एक दिन तुझको भी मिटना है यहां।। क्यो पावर और पद का घमंड खाता। हर किसी का एक दिन आता है ।। माना रात अंधेरी सी उजियारे तक ले जाती है। धीरे-धीरे जीवन पथ के गलियारे तक ले जाती है।। जय श्री राम
माना समय अभी विपरीत है
माना समय अभी विपरीत है झूठे-मंक्कारो की जीत है एक दिन तेरा आएगा सबको सबक सिखाऐगा रख तकल्लुफ इरादे पर मत भयभीत हो नाकारे पर
मुश्किल से जिसने संत्ता पाई है लेकिन सबक नहीं सीख पाई है
इसी लिए इतराता है बुझता दिया फडफडाता है
रख हौसला वो मंजिल के मुसाफिर
रख हौसला वो मंजिल के मुसाफिर अपनी काबीलियत पर ऐतबार तो कर
झुक जाएगे अभियानी भी एक दिन मौसम के बदलते का इंतजार तो कर
याद आयेंगे अकसर बिछड़े हुए साथी
जिन्होंने अपनी कुर्बानी दी तेरे लिए
चल उठ दिखा दे उन गंद्दारो को भी
तेरे सीने में अभी सांस बांकी है
लड़ता जाउंगा मिटता जाउंगा चीर कर सीना झुका दूंगा आसमान को भी
मंजिल तो पा के रहूंगा नियमितीकरण तो ला के रहूंगा
डॉ बी एल मिश्रा प्रदेश अध्यक्ष छ ग सहायक चिकित्सा अधिकारी संघ